अब हम तुमको नहीं मिलेंगे हाथ छुड़ाकर जाने पर। इसीलिए आ जाना मेरे अंतिम बार बुलाने पर।। रोशनदान तोड़कर आये …
ना चाँद रहेगा, ना सितारे रहेंगे, देखना हम फिर भी तुम्हारे रहेंगे। ये फासले, ये दूरियाँ कुछ भी नहीं, हम तो एक-दूजे के स…
अब हम तुमको नहीं मिलेंगे हाथ छुड़ाकर जाने पर। इसीलिए आ जाना मेरे अंतिम बार बुलाने पर।। रोशनदान …
लुटा जीवन तमाशे में , खिलाडी खेल सारे हैं घुला जीवन बताशे सा, पेड़ बेसुध किनारे हैं।। चले सत्कर्म से नैया, बहे जीवन मध…
हाले दिल सुनाकर लोगों से क्या मिलेगा. जख्म और गहरे होंगे , दर्द नया मिलेगा. तुम चाहे अपनी उल्फत की लाख दुहाई दो, मगर …
पहला कदम मिलाके हम चले थे जनवरी में इश्क़ हुआ था गहरा मोहब्बत की फरवरी में मार्च में खेल रहे थे, हम रंगों के संग हो…
ये आज कल की स्वार्थी दुनिया और स्वार्थी लोगों की बात सर्द मौसम में जिस पेड़ को काटकर फिर गर्मी में उससे ही छाँव माँग…
नजर में है खराबी तो किसी चेकउप का क्या मतलब अगर मुझ से है मोहब्बत तो फिर बेअकप का क्या मतलब तू सजती है सवारती है मग…
सुना है कि वो मुझे ठुकराकर खुश रहने लगे हैं। किया ही नहीं उसने प्यार , ये सब से बताने लगे हैं।। मशगूल रहते हैं वो क…
🚫 अपनी प्रेमिका को शुद्ध हिंदी माध्यम से पढ़े एक विज्ञान के विद्यार्थी का रासायनिक प्रेमपत्र🚫 मेरी अति प्रिय मैडम क…
उम्मीद लिए बैठा हूँ कुछ फ़ैसला तो हो ज़ाहिर सभी के सामने मेरी ख़ता तो हो दिन ढले हर शाम उनको याद मेरी आना ख़ुद से तो पू…
रात कल कंगन खनकने की वजह से नव वधू नजरे बचाकर चल रही थी कोयले का आंच से परिचय हुआ था देह सारी तमतमा कर जल रही थी …
कुछ साल पहले ही तो उससे पहचान हुई थी हाय हेलो छोड़ राम राम कह के बात हुई थी बस उसी समय ही वो मेरे दिल में बसी थी नैनो…
सवाल अब भी वही है जनाब कैसे हुआ। किसी की खुशबू से बेहतर गुलाब कैसे हुआ।। तमाम रात मै खुद से सवाल करता रहा। जिसे छुआ ह…
बहुत अजूबे देख चुके हमने इस जिंदगानी में देख, भूल से कोई मछली, डूब न जाये पानी में जाने अनजाने में हमको कितने हैं क…
उसे तलाश हो अब क्या किसी बहाने की हमीं को पड़ गई आदत फ़रेब खाने की फिर आये लोग हुई कोशिशें मानाने की मगर वो मैं की न स…
समय मिले तो आकर मिलना लाइब्रेरी की टेबल पर कुछ न बोलेंगे हम जुबां से और अटकेंगे किताबों पर पलटेंगे पेजों को यूं ही…
इस मोबाइल की सेटिंग में या व्हाट्सएप की चैटिंग में हर्षित हैं रो बेचैन राजू हैं रो बेचैन आयुष हैं रो बेचैन की मोसे…
जा रहा हूँ सन्यास लेने। .... दिल्ली वाली दिल नहीं दे रही है पटना वाली पट नहीं रही गुजरात वाली पोस्ट से गुजर गई उत…
उठे हैं पांव बढ़ने को मंजिल की ओर डगर में छांव मिले न मिले, चलो देखा जाएगा। मनपसंद छोड़ा है और सही करते गए हैं अब मनपस…