ये आज कल की स्वार्थी दुनिया और स्वार्थी लोगों की बात
सर्द मौसम में जिस पेड़ को काटकर
फिर गर्मी में उससे ही छाँव माँगते हैं
पहले बंजर कर देते हैं शहर की दौड़ में जिसे
फिर सुकून के लिए वही गांव मांगते हैं
खुदगर्ज हैं इंसान पहले बो देते हैं राह में काँटे
फिर सहारे के लिए वही पाँव माँगते हैं
दरिया देख कर जिसे ठुकरा दिया करते हैं ये
समंदर पास देख वही नांव माँगते हैं
हर बार दगा मिलता रहा जिन रिश्तों से इन्हे
फिर भी दिल पे ये वही घाव माँगते हैं
खुद के दिल में चाहे अपनापन न हो इनके
अपने लिए सबसे ही लगाव मांगते हैं
@विवेक तिवारी
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