hamne es jindgani me


 बहुत अजूबे देख चुके  हमने इस जिंदगानी में 

देख, भूल से कोई मछली, डूब न जाये पानी में 


जाने अनजाने में हमको कितने हैं किरदार मिले 

मोड़ मिले जाने कितने हमको एक कहानी में 


दिल लेके , रहे भटकते बस्ती बस्ती गली गली 

कितने ही नुक्सान उठाए ,हमने है नादानी में 


खुशबू जैसी यादें थी , उन फूलो जैसे रिश्ते में 

हर मौसम मधुमास , पाए थे कभी निशानी में 


किस बात पर रोना , गैर तो आखिर , गैर ही थे 

दिल तोड़ने वाले देखे , सूरत जनि पहचानी में 


सूनेपन का यह आलम , दिन लम्बा, रातें भारी 

सरे लम्हे डुबो दिए  हमने , आसूँ की रवानी में 


ख्वाबों से ये जिंदगी कब किसकी कटती है 

ख्वाहिशें कब तक तक जी पति , उम्र ए फानी में 


किस्मत नहीं बदलती ताबीज की दुआओं से 

खुशियाँ नहीं लिखी रहती, सबकी पेशानी में 

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